पुस्तक का शीर्षक - दृष्टि और विमर्श' समकालीन भारतीय कला के क्षेत्र में कला समीक्षकों की बहुआयामी भूमिका, उनके बदलते स्वरूप और भविष्य की दिशा पर केंद्रित एक संपादित पुस्तक है। इस पुस्तक के माध्यम से हमारा लक्ष्य कला समीक्षा के महत्व को उजागर करना, भारतीय संदर्भ में इसकी बदलती गतिशीलता पर प्रकाश डालना और इस क्षेत्र में विद्वानों के नए विचारों को एक मंच प्रदान करना है। हम कला इतिहास, कला आलोचना, संस्कृति अध्ययन, समाजशास्त्र और संबंधित विषयों के विद्वानों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों से इस महत्वपूर्ण कार्य में योगदान करने के लिए आमंत्रित करते हैं।
हमारा उद्देश्य: यह पुस्तक कला समीक्षा को केवल मूल्यांकन के एक उपकरण के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवंत बौद्धिक अभ्यास के रूप में देखती है जो कला, कलाकार और दर्शक के बीच सेतु का काम करता है। हम समकालीन भारतीय कला परिदृश्य में समीक्षकों की बदलती भूमिका, महत्व और चुनौतियों को गहराई से समझना चाहते हैं, साथ ही भारतीय कला समीक्षा के भविष्य की दिशा पर भी विचार करना चाहते हैं।
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Read more about दृष्टि और विमर्श : समकालीन भारतीय कला में समीक्षकों की भूमिका - WITH ISBN -Hardback